दो-ध्रुवीयता का अन्त
Class 12 | Chapter 2
हिंदी नोट्स
याद रखने योग्य बातें
- शीतयुद्ध का सबसे बड़ा प्रतीक बर्लिन की दीवार 9 नवम्बर, 1989 को आम जनता द्वारा तोड़ी गई।
- यू. एस. एस. आर. का पूरा नाम : यूनियन ऑफ सोशलिस्ट सोवियत रिपब्लिक या सोवियत समाजवादी गणराज्य।
- मिखाइल गोर्बाचेव सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव चुने गए। बोरिस येल्तसिन को रूस की कम्युनिस्ट पार्टी का प्रमुख बनाया। सोवियत संघ में सुधारों की श्रृंखला शुरू की: मार्च 1985
- लिथुआनिया में आजादी के लिए आंदोलन शुरू। एस्टोनिया और लात्विया में भी फैला: 1988
- सोवियत संघ की घोषणा कि ‘वारसा समझौते’ के सदस्य अपना भविष्य तय करने के लिए स्वतंत्र हैं : अक्टूबर 1989
- गोर्बाचेव ने सोवियत संसद ड्यूमा के चुनाव के लिए बहुदलीय राजनीति की शुरुआत की। सोवियत सत्ता पर कम्युनिस्ट पार्टी का 72 वर्ष पुराना एकाधिकार समाप्त : फरवरी 1990
- रूसी संसद ने सोवियत संघ से अपनी स्वतंत्रता घोषित की : जून 1990
- लिथुआनिया स्वतंत्रता की घोषणा करने वाला पहला सोवियत गणराज्य बना : मार्च 1990
- येल्तसिन का कम्युनिस्ट पार्टी से इस्तीफा। रूस के राष्ट्रपति बने : जून 1991
- कम्युनिस्ट पार्टी के गरमपंथियों ने गोर्बाचेव के खिलाफ एक असफल तख़्तापलट का प्रयास किया : अगस्त 1991
- एस्टोनिया, लात्विया और लिथुआनिया, तीनों बाल्टिक गणराज्य संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य बने। (मार्च 2004 में उत्तर अटलांटिक संधि (NATO) संगठन में शामिल हुए) : सितंबर 1991
- रूस, बेलारूस और यूक्रेन ने 1922 की सोवियत संघ के निर्माण से संबद्ध संधि को समाप्त करने का फैसला किया और स्वतंत्र राष्ट्रों का राष्ट्रकुल (CIS) बनाया। अर्मेनिया, अजरबैजान, माल्दोवा, कजाकिस्तान, किरगिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान भी राष्ट्रकुल में शामिल। जॉर्जिया 1993 में राष्ट्रकुल का सदस्य बना। संयुक्त राष्ट्र संघ में सोवियत संघ की सीट रूस को मिली : दिसंबर 1991
- गोर्बाचेव ने सोवियत संघ के राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया। सोवियत संघ का अंत : 25 दिसंबर, 1991