Index
1. ईंट मनके और अस्थियाँ
1. आरंभ 2. निर्वाह के तरीके 3. मोहनजोदड़ो 4. सामाजिक विभिन्नताओं का अवलोकन 5. शिल्प उत्पादन के विषय में जानकारी 6. माल प्राप्त करने सम्बन्धी नीतियाँ 7. मुहरें लिपि तथा बाट 8. प्राचीन सभ्यता 9. सभ्यता का अंत 10. हड़प्पा सभ्यता की खोज 11. अतीत को जोड़कर पूरा करने की समस्याएं मानचित्र बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर 1 अंकीय प्रश्न उत्तर 2 अंकीय प्रश्न उत्तर2. राजा किसान और नगर
बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर3. बंधुत्व जाति और वर्ग
बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर4. विचारक विश्वास और इमारतें
बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर 1 बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर 26. भक्ति सूफी और परम्पराएँ
बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर7. एक साम्राज्य की राजधानी विजयनगर
बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर8. उपनिवेशवाद और देहात
बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर10. उपनिवेशवाद और देहात
बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर11. विद्रोह और राज
बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर13. महात्मा गाँधी और आन्दोलन
बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर15. संविधान का निर्माण
बहुविकल्पीय प्रश्न उत्तर[adinserter block="13"]
शासक और इतिवृत > इतिवृतों की रचना
इतिवृतों की रचना
- साम्राज्य , दरबार के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण हैं
- प्रबुद्ध राज्य के दर्शन की प्रयोजना के उद्देश्य से
- विरोधियों को उनकी नियत असफलता दर्शाना
- भावी पीढ़ियों के सामने उनका विवरण रहे
लेखक
- निरपवाद रूप से दरबारी रहे
- इनके लेख घटनाओं में
- शासक पर केन्द्रित घटनाएँ
- शासक का परिवार
- दरबार, अभिजात
- युद्ध प्रशासनिक व्यवस्थाएं
- इनके निगाह में दरबार व साम्राज्य, और बादशाह का इतिहास एक ही था
तुर्की से फारसी की और
- मुग़ल दरबारी इतिहास फारसी में लिखे गए थे
- हिंदी और इसकी क्षेत्रीय विभिन्नताओं के साथ फारसी दरबार और साहित्यिक रचनाओं की भाषा में खूब फली फूली
- तुर्की उनकी मातृभाषा थी | बाबर ने अपनी कवितायेँ और संस्मरण इसी भाषा में लिखे थे
- पद पाने के इच्छुक ईरानी और मध्य एशियाई प्रवासियों ने बादशाह को इस भाषा के लिए प्रेरित किया होगा
- फारसी को दरबार में ऊँचा स्थान दिया गया
- इसे जानने वालों को शक्ति व प्रतिष्ठा मिली
- इसे बोलने वाले – राजा शाही परिवार और दरबार के विशिष्ट सदस्य
- प्रशासन की भाषा बन गयी
- इसके मुहावरों और शब्दावली ने प्रभावित किया
- 16वीं शताब्दी में इस भाषा का प्रयोग करने वाले अलग अलग क्षेत्रों से आये थे जिससे इसका भारतीयकरण हो गया
- इससे उर्दू नाम की नयी भाषा सामने आई
पांडुलिपियों की रचना
- मुग़ल भारत की पुस्तकें पांडुलिपियों के रूप में लिखी थीं
- मुख्य केंद्र शाही किताबनामा (पुस्तकालय)
- किताबनामा लिपिघर था अर्थात ऐसी जगह जहाँ बादशाह की पांडूलिपियों का संग्रह रखा जाता था और नयी पांडुलिपियों की रचना की जाती थी
- पांडुलिपियों की रचना में बहुत लोग शामिल थे
- किताबनामा में कई तरह के लोग थे :- पन्ने तैयार करने वाले, पन्ने तैयार करने वाले, पृष्ठों को चमकाने वाले, जिल्द करने वाले
- पाण्डुलिपि बहुमूल्य संपदा मानी जाती थी
- पांडुलिपियों के संरक्षक मुग़ल बादशाह अपनी शक्ति दर्शाते थे
- सुलेखकों और चित्रकारों को उच्च सामाजिक प्रतिष्ठा मिली
- कागज बनाने वाले, जिल्दसाज गुमनाम कारीगर रह गए
- सुलेखन की कला महत्वपूर्ण कौशल मानी जाती थी
- नस्तलिक अकबर की पसंदीदा शैली थी
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