आसियान (ASEAN) का पूरा नाम Association of Southeast Asian Nations है।
दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों का संगठन एक क्षेत्रीय संगठन है जो एशिया-प्रशांत के उपनिवेशी राष्ट्रों के बढ़ते तनाव के बीच राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता को बढ़ावा देने के लिये स्थापित किया गया था।
आसियान का आदर्श वाक्य ‘वन विजन, वन आइडेंटिटी, वन कम्युनिटी’ है।
8 अगस्त आसियान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
आसियान का सचिवालय इंडोनेशिया के राजधानी जकार्ता में है।
सदस्य राष्ट्र
इंडोनेशिया
मलेशिया
फिलीपींस
सिंगापुर
थाईलैंड
ब्रुनेई
वियतनाम
लाओस
म्यांमार
कंबोडिया
आसियान की उत्पत्ति
1967 – आसियान घोषणापत्र (बैंकॉक घोषणा) पर संस्थापक राष्ट्रों द्वारा हस्ताक्षर करने के साथ आसियान की स्थापना हुई।
आसियान के संस्थापक राष्ट्र हैं: इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड।
1990 के दशक में – वर्ष 1975 में वियतनाम युद्ध के अंत और वर्ष 1991 में शीत युद्ध के बाद क्षेत्र में बदलती परिस्थितियों के बाद सदस्यता दोगुनी हो गई।
ब्रुनेई (1984), वियतनाम (1995), लाओस और म्यांमार (1997), और कंबोडिया (1999) सदस्य राष्ट्रों में शामिल हुए।
1995 – दक्षिण पूर्व एशिया को परमाणु मुक्त क्षेत्र बनाने के लिये सदस्यों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किये।
1997 – आसियान विजन 2020 को अपनाया गया।
आसियान समुदाय में तीन स्तंभ
आसियान राजनीतिक-सुरक्षा समुदाय
आसियान आर्थिक समुदाय
आसियान सामाजिक-सांस्कृतिक समुदाय
आसियान के उद्देश्य
दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के समृद्ध और शांतिपूर्ण समुदाय के लिये आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति तथा सांस्कृतिक विकास में तेजी लाने हेतु।
न्याय और कानून के शासन के लिये सम्मान तथा संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों के पालन के माध्यम से क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बढ़ावा देना।
आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, तकनीकी, वैज्ञानिक और प्रशासनिक क्षेत्रों में सामान्य हित के मामलों पर सक्रिय सहयोग और पारस्परिक सहायता को बढ़ावा देना।
कृषि और उद्योगों के अधिक उपयोग, व्यापार विस्तार, परिवहन और संचार सुविधाओं में सुधार और लोगों के जीवन स्तर सुधार में अधिक प्रभावी ढंग से सहयोग करने के लिये।
दक्षिण पूर्व एशियाई अध्ययन को बढ़ावा देने के लिये।
मौज़ूदा अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठनों के साथ घनिष्ठ और लाभप्रद सहयोग बनाए रखने के लिये।
शक्तियाँ और अवसर
एकल रूप से अपने सदस्यों की तुलना में आसियान एशिया-प्रशांत व्यापार, राजनीतिक और सुरक्षा मुद्दों को अधिक प्रभावित करता है।
जनसंख्या भाग – यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी जनसंख्या को समाहित करता है जिनमें आधी से अधिक जनसंख्या तीस वर्ष की आयु से कम है।
चुनौतियाँ
एकल बाज़ारों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में क्षेत्रीय असंतुलन।
आसियान सदस्य राष्ट्रों के बीच अमीरी और गरीबी का अंतर बहुत ज्यादा है तथा आय असमानता भी अधिक है।
सिंगापुर में प्रति व्यक्ति जीडीपी सबसे अधिक है लगभग 53,000 डॉलर (2016) जबकि कंबोडिया की प्रति व्यक्ति जीडीपी 1,300 डॉलर से भी कम है। कम विकसित देशों को क्षेत्रीय योजनाओं, प्रतिबद्धताओं को लागू करने के लिये संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ता है।
सदस्यों राष्ट्रों की राजनीतिक प्रणाली अलग-अलग यथा लोकतंत्र, कम्युनिस्ट और सत्तावादी है।
दक्षिण चीन सागर संगठन में दरार पैदा करने वाला मुख्य मुद्दा है।
आसियान को मानव अधिकारों के प्रमुख मुद्दों पर विभाजित किया गया है।
उदाहरण के लिये रोहिंग्याओं के खिलाफ म्यांमार में दरार।
चीन के संबंध में एक एकीकृत दृष्टिकोण पर बातचीत करने में असमर्थता, विशेष रूप से दक्षिण चीन सागर में इसके व्यापक समुद्री दावों के जवाब में।
आम सहमति पर अत्यधिक बल मुख्य दोष है, कठिन समस्याओं का सामना करने के बजाय टाल दिया जाता है।
सहमति को लागू करने के लिये कोई केंद्रीय तंत्र नहीं है।
अक्षम विवाद-निपटान तंत्र, चाहे आर्थिक हो या राजनीतिक।