Class 12 Political Science Chapter 9 वैश्वीकरण-याद रखने योग्य बातें
याद रखने योग्य बातें
1.वैश्वीकरण (Globalisation) : एक अवधारणा (Concept) के रूप में वैश्वीकरण की बुनियादी बात है-प्रवाह (flow) | प्रवाह कई प्रकार के हो सकते हैं : विश्व के एक भाग के विचारों का दूसरे भाग में पहुँचना, पूँजी का एक से ज्यादा जगहों पर जाना, वस्तुओं का कई-कई देशों में पहुँचना और उनका व्यापार तथा बेहतर आजीविका की तलाश में दुनिया के विभिन्न हिस्सों में आवाजाही । यहाँ सबसे जरूरी बात है – विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव, जो ऐसे प्रवाहों की निरन्तरता से पैदा हुआ है और कायम भी है।
2.संचार के क्षेत्र में क्रांति लाने वाले तीन साधन : 1. टेलीग्राफ, 2. टेलीफोन तथा 3. माइक्रोचिप के नवीनतम आविष्कार ।
3.प्रौद्योगिकी की उन्नति का प्रभाव जिन चार क्षेत्रों पर पड़ा : 1. विचारों का प्रवाह, 2. पूँजी का प्रवाह, 3. वस्तुओं और लोगों की विश्व के विभिन्न भागों में आवाजाही की सरलता।
4.बहुराष्ट्रीय निगम : वह कम्पनी जो एक से ज्यादा देशों में एक साथ अपनी आर्थिक गतिविधियाँ चलाती है, जैसे-पूँजी निवेश, उत्पादन, वितरण या व्यापार आदि।
5. वैश्वीकरण का राज्य के स्वरूप या चरित्र पर एक प्रभावशाली या महत्त्वपूर्ण प्रभाव : राज्य अब कल्याणकारी नहीं रहे बल्कि वे अब बाजार आधारित आर्थिक और सामाजिक प्राथमिकताओं के प्रमुख निर्धारक हैं।
6.वैश्वीकरण के कालांश में राज्य के दो प्रमुख कार्य : 1. कानून और व्यवस्था बनाये रखना तथा 2. अपने देश के भू-क्षेत्र तथा नागरिकों की सुरक्षा करना।
7. वैश्वीकरण की प्रतीक कुछ वस्तुएँ : 1. आप्रवासी लोग, 2. विदेशी वस्तुएँ, 3. मुक्त व्यापार, 4. विदेशी पूँजी का निवेश
8. दो महत्त्वपूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक संस्थाएँ : 1. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, 2. विश्व व्यापार संगठन।
9.सांस्कृतिक समरूपता: इसका यह अर्थ नहीं कि किसी विश्व संस्कृति का उदय हो रहा है। वस्तुतः इसका अर्थ है विश्व संस्कृति के नाम पर पश्चिमी संस्कृति लादी जा रही है या शेष दुनिया पर तीव्रता से अपना प्रभाव छोड़ रही है। यह प्रभाव खाने-पीने,पहनावे तथा सोच पर देखा जा सकता है।
10.मैक्डोनॉल्डीकरण: इसका अर्थ है कि विश्व की विभिन्न संस्कृतियाँ अब अपने को प्रभुत्वशाली अमेरिकी ढर्रे पर ढालने लगी हैं।
11.संरक्षणवाद : वह विचारधारा जो उदारीकरण एवं वैश्वीकरण का विरोध करती है तथा देशी उद्योगों एवं उत्पादित वस्तुओं को विदेशी मालों की प्रतियोगिता से बचाने के लिए चुंगी, तटकर आदि का पक्ष लेती है।
12. भारत में नई आर्थिक नीति शुरू हुई : 1991 में।
13.वैश्वीकरण के प्रतिरोधियों के अनुसार इसकी एक बड़ी हानि : यह धनिकों को और ज्यादा धनी (तथा उनकी संख्या में कमी) और गरीब को और ज्यादा गरीब बनाती है।
14.सिएटल में विश्व व्यापार संगठन (WTO) की मंत्रि-स्तरीय बैठक हुई : 1999 में।
15. डब्ल्यू.एस.एफ. ( IW.S.F) : ‘वर्ल्ड सोशल फोरम’ (विश्व सामाजिक मंच) ।
16.वर्ल्ड सोशल फोरम की पहली बैठक : 2001 में ब्राजील के पोर्टो अलगैरे में हुई।
17. वर्ल्ड सोशल फोरम की चौथी बैठक : 2004 में मुम्बई (भारत) में हुई थी।
18. वर्ल्ड सोशल फोरम की सातवीं बैठक हुई: 2007 नैरोबी (कीनिया) में।
19.विश्व व्यापार संगठन : एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन, जो विभिन्न देशों के बीच व्यापार को प्रोन्नत करने के लिए गठित किया गया है। इसका उद्देश्य बिना किसी भेदभाव के समान रूप से खुले तौर पर अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देना है।
20. व्यापार : उत्पादकों से उपभोक्ताओं तक वस्तुओं का प्रवाह, व्यापार कहलाता है।
21. व्यापार संतुलन : किसी देश के कुल आयात एवं निर्यात मूल्यों का अन्तर। यदि निर्यात मूल्य, आयात मूल्य से अधिक है तो व्यापार-संतुलन देश के अनुकूल है और आयात मूल्य, निर्यात मूल्य से अधिक होने पर व्यापार संतुलन देश के प्रतिकूल होता है।
22.सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) : एक दिए गए समय में राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत वस्तुओं और सेवाओं का बाजार मूल्य या मौद्रिक मापदंड।
23.सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National Product) : सकल घरेलू उत्पाद तथा विदेशों से प्राप्त कुल आय मिलकर सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहलाते हैं।
24. साम्राज्यवाद (Imperialism) : जब कोई देश अपनी सीमा से बाहर के क्षेत्र के लोगों के आर्थिक और राजनैतिक जीवन पर अपना आधिपत्य करता है तो ऐसी स्थिति को साम्राज्यवाद कहते हैं।