उत्तर : भारत में द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रक धीमी गति से विकसित हो रहे हैं इसलिए यहाँ प्राथमिक क्षेत्रक में ही जनसंख्या की जीविका का अधिक भार है। यहाँ के तृतीयक क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय कंपनियों का ही प्रबल नियंत्रण है। कुटीर उद्योग पूरी तरह उपेक्षित हैं और लगभग ऐसे सभी उद्योग बंद होने की दशा में हैं।
केवल चंद धनी व्यष्टियों का द्वितीयक क्षेत्रक में एकाधिकार है। वे अपने भारतीय भाइयों को रोजगार देने के स्थान पर विदेशी नागरिकों और फर्म से काम कराने को अधिक महत्त्व देते हैं। सूचना प्रौद्योगिकी विकसित हो जाने के बाद उनके लिए ऐसा करना और आसान हो गया है। विश्व व्यापार संगठन के सचिव सम्मेलन के आदेशों का मौन अनुपालन करते हुए यहाँ श्रम कानूनों को बेहद लचीला बनाकर पूँजीवादी प्रकृति का सामंतवाद स्थापित कर दिया गया है। विश्व व्यापार संगठन कहने भर को संयुक्त राष्ट्र संघ की एक एजेन्सी है लेकिन वस्तुतः यह अमरीकी वर्चस्व के पिंजरे का तोता या पालतू पक्षी है।